भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कालका-शिमला राष्ट्रीय राजमार्ग-5 को परवाणू-सोलन फोरलेन तक चार लेन बनाने पर 748 करोड़ रुपये खर्च किए. इसके बावजूद मौजूदा हालात में चलने का कोई रास्ता नहीं बचा है. फोरलेन बनाने वाली कंपनी ने काम पूरा कर लिया है. लेकिन भारी बारिश के कारण सड़क टूट गयी.
सड़क बनाने के लिए नदी में मिट्टी खोदी गई थी. ऐसे में अधिकारियों समेत कंपनी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं. सड़क निर्माण के दौरान अधिकारी कोई निरीक्षण नहीं करते हैं. वहीं सड़क की गुणवत्ता भी संदेह के घेरे में है. इससे सड़क बनाना एक चुनौती बन गया है. सुरंग तक जाने वाली सड़क टूटने लगी.
बाद में बारिश के दौरान तंबू मोड़ समेत कई स्थानों पर सड़क धंस गई। एक सवाल यह भी है कि एनएचएआई ने अब तक कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? सड़कों के ध्वस्त होने से कंपनी की पोल भी खुल रही है. पहाड़ी से मिट्टी निकालकर बनाई गई सड़क पर अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। बुधवार को तंबूमोड़ के पास चक्कीमोड़ की सड़क भी पूरी तरह ध्वस्त हो गयी थी.
इसके ऊपर पत्थर की प्राचीर बनाई गई थी. सड़क निर्माण के दौरान मिट्टी की सतह बनाई गई लगती है. फोरलेन अब परवाणू से लेकर सोलन तक लोगों के लिए खतरा बन गया है। सर्दी, गर्मी या बरसात में पहाड़ी ढहने लगती है। एनएचसी फोरलेन में तब्दील हो चुका है, लेकिन अभी भी संकट में है। पहाड़ तो हर मौसम में गिरते हैं.
खतरे में इमारत
सनवारा में सड़क किनारे एक मकान ढह गया है. 34 मकान अभी भी खतरे में हैं. जिला प्रशासन ने मकान खाली करा लिए हैं. लोगों को मंदिर और गुरुद्वारे में ठहराया गया. सड़क पर बने खराब पुलिया से पानी सड़कों पर बह रहा है और लोगों के घरों में जा रहा है. 16 घर खतरे में थे.
डीजल, पेट्रोल और एलपीजी की सप्लाई पर असर
सोलन. हिमाचल प्रदेश में सड़क यातायात बंद होने से सेब, शिमला मिर्च और अन्य नकदी फसलें यहां फंस गई हैं. इसके अलावा डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है. ट्रक चालकों को चंडीगढ़ मंडी तक कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा। इसका असर दैनिक जीवन पर भी पड़ेगा.
सड़क के एक हिस्से पर कंक्रीट का बांध बनाकर बनाया जाएगा। इसे जल्द से जल्द बहाल करने का प्रयास किया जाएगा. गुरुवार को मौका देखा जाएगा. यह रिपोर्ट बनाई जाएगी. निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. आनंद दैया, परियोजना निदेशक, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण.
फोरलेन का निर्माण 2015 में शुरू हुआ था
सोलन. नवंबर 2015 में पुरवाणू से सोलन तक फोरलेन का काम शुरू हुआ था. इस दौरान पहाड़ियों को फोरलेन बनाने के लिए कटिंग शुरू की गई थी. अधिकांश पहाड़ियों को 90 डिग्री पर काटा गया. तब से लेकर आज तक पहाड़ों पर आफत बनकर बरसी है. यहीं नहीं पहाड़ों की लाल मिट्टी सड़क पर फैली हुई है.
पुल का दूसरा चरण
सड़क पर फोरलेन भी बनाया जा रहा है. सोलन से लेकर कैथलीघाट तक यही नजारा देखने को मिल रहा है. यहां नहर भी बंद है. चंबाघाट में तीन मकान खाली हो गए हैं. यहां सड़क पर पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है. पेड़ों की कटाई ने पहाड़ों को भी कच्चा बना दिया है.
परवाणू से सोलन तक फोरलेन का निर्माण शुरू होने से पहले भी यहां बरसात के दिनों में क्रेट वायर बार्ज लगाए जाते थे. यह पुल भी गिर गया था. बाद में एनएचएआई ने पुल बनाने की योजना बदल दी और फोरलेन पर गड्ढ़े बनाने का काम किया.
टमाटर के दाम घटे
सोलन मंडी में सड़क धंसने का असर पहले ही दिन देखने को मिला. मंगलवार को सोलन सब्जी मंडी में एक टन टमाटर 5000 रुपये में खरीदा गया. बुधवार को यह 4,000 रुपये हो गया. आढ़तियों का कहना है कि एनएच ध्वस्त होने से उनकी सब्जियां बाहर नहीं आ पाएंगी.