हिमाचल प्रदेश में पर्यटन ने करोड़ों रुपये खर्च किए:होटल-ढाबा मालिक और टैक्सी ऑपरेटर परेशान, टूरिस्टों को 50% डिस्काउंट नहीं मिल रहा

हिमाचल प्रदेश में आपदा ने पर्यटन उद्योग को बर्बाद कर दिया है। हजारों लोगों की रोजी-रोटी इससे प्रभावित हुई है। पर्यटक सात जुलाई से 11 जुलाई के बीच हुई भारी बारिश से मची तबाही से पहाड़ों पर जाने से डर रहे हैं। इससे प्रदेश के होटलों की ऑक्युपेंसी दो से तीन प्रतिशत रह गई है।

हालाँकि, हिमाचल प्रदेश टूरिज्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (HPTDC) और निजी होटल मालिकों ने 50 प्रतिशत तक की छूट दी है। फिर भी लोग पहाड़ों पर चढ़ने से बच रहे हैं। इसके कारण एक महीने से शिमला, नारकंडा, मनाली, डलहौजी, चंबा, धर्मशाला, मैकलोड़गंज, कसौल, खीरगंगा, कसौली और अन्य पर्यटन स्थलों में ठहराव पसरा है।

इन पर्यटन स्थलों पर हजारों लोग पर्यटक गाइड बनकर रोजी रोटी कमाते हैं; वे होटल, ढाबा, रेस्तरां, घोड़े, टैक्सी चलाते हैं। इनका व्यवसाय पूरी तरह ठप पड़ा है।15 से 20 जुलाई तक होटलों में औसत ऑक्युपेंसी 30 से 40 प्रतिशत थी। लेकिन इस बार 23 जून को मानसून की दस्तक के बाद ही प्रभाव पड़ा। 7 जुलाई से 11 जुलाई की बारिश के बाद यह पूरी तरह ठप हो गया था।

NHAI भी पर्यटकों की कमी का कारण

चियोग में हाईलेंडर होम स्टे के संचालक सोहन ठाकुर ने कहा कि NHAI और कुदरत दोनों इसके लिए जिम्मेदार हैं। उनका कहना था कि कालका-शिमला और चंडीगढ़-मनाली फोरलेन हिमाचल प्रदेश के पर्यटकों का 80 प्रतिशत हैं। हालाँकि, NHAI ने इन दोनों सड़कों को 90 डिग्री के ढलान में बनाया है, जिससे हर साल बरसात में सड़कें बंद हो जाती हैं। इसलिए पर्यटक हिमाचल जाना नहीं चाहते हैं।

शिमला में टैक्सी का काम जीरो

शिमला में टैक्सी चलाने वाली एकमात्र महिला मीनाक्षी ने बताया कि एक महीने से टैक्सी का काम नहीं हुआ है। टूरिस्ट सीजन में प्रति दिन दो से तीन हजार रुपये मिलते हैं। लेकिन पिछले महीने कुल तीन हजार रुपये नहीं कमा पाए। इससे गाड़ी को उस किश्त तक ले जाना कठिन हो गया है। उनका कहना था कि गाड़ियों की किश्तें और महीने का खर्च जमा नकदी से निकाल रहे हैं।

टूरिज्म को करोड़ों की क्षति: टूरिज्म इंडस्ट्री को आपदा ने करोड़ों का नुकसान हुआ है, बकौल अनूप मनाली होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप ठाकुर ने कहा इससे बचना बहुत मुश्किल है। कोरोना जैसे हालात हो गए हैं। 100 कमरों में से मुश्किल से एक या दो कमरे दिखाई देंगे। इससे कर्मचारियों को उनकी सैलरी देना कठिन हो गया है।

वास्तव में, पिछले दो दिनों में प्रदेश में नॉर्मल से भी 60 प्रतिशत कम बारिश हुई है, हालांकि मानसून धीमा है। यही नहीं, बंद पड़ी अधिकांश सड़कें फिर से चालू हो गई हैं। यह देखते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य और बाल विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी सैलानियों से देवभूमि हिमाचल में आने की अपील की है।

अक्टूबर में पर्यटकों की आगमन की अब उम्मीद है: पूरी डलहौजी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र पूरी ने बताया कि क्षेत्र में ऑक्युपेंसी तीन से चार प्रतिशत बची है। उनका कहना था कि बारिश से पर्यटन क्षेत्र को बहुत नुकसान हुआ है। अक्तूबर तक इसे फिर से सामान्य होने की उम्मीद नहीं है।

कुफरी में एक रेस्तरां के सहायक प्रबंधक रोहित ने बताया कि बरसात में औसत ऑक्युपेंसी २० से ३० प्रतिशत रहती है। लेकिन इस बार यह जीरो है। उनका कहना था कि वीकेंड पर पर्यटक भी नहीं आ रहे हैं।

टूरिज्म का जीडीपी में इतना योगदान

हिमचाल पर्यटन उद्योग GDP (सकल घरेलू उत्पाद) में चार से छह प्रतिशत का योगदान देता है। कम या अधिक होना पर्यटन क्षेत्र पर निर्भर करता है। यह प्रत्यक्ष रूप से और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग चार लाख परिवारों को भोजन देता है।

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