चंद्रयान-3 लूना तक क्यों है? चंदा मामा के खजाने पर है सबका ध्यान

भारत का मिशन मून सफल हो जाने में बहुत करीब है। चंद्रयान-3 को आजादी की पूर्व संध्या पर चंद्रमा की सतह पर उतारने की कोशिश करेगा। इसके साथ में ही भारत का यह अभियान सफल हो जायेगा। चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के लिए बहुत से देश प्रतिस्पर्धी हैं। भारत के चंद्रयान-3 और रूस का लूना-25 भी चांद की ओर से चलेगा। वहीं, पर देखा जाये तो चीन और अमेरिका भी इस पर काम कर रहे हैं और 2030 से पहले चंद्रमा पर अपनी सरकार बनाना चाहते हैं। विभिन्न देशों में भी चंद्रमा पर पहुंचने की उत्सुकता का कारण क्या है?

चंद्रमा पर बहुत सारे पदार्थ हैं, पानी की तलाश में। इन पर हर देश अपना हक जताना चाहता है। इसलिए, इन सभी का ध्यान मिशन मून पर है। चंद्रमा पर पानी सबसे महत्वपूर्ण है। भारत ने चंद्रमा की सतह पर पानी होने का पहला पता लगाया था। 2008 में, चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोक्सिल मॉलीक्यूल्स होने का पता लगाया था। इंसानों के लिए पानी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का भी स्रोत हो सकता है। इनका उपयोग रॉकेट फ्यूल में हो सकता है। वैज्ञानिकों का मत है कि चंद्रमा पर बर्फ की तरह पानी है। रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि वहां पर पानी का पता लगाना और यकीन करना उसका पहला लक्ष्य है।

हीलियम-3 धरती पर एक बहुतायत में रेयर हीलियम की तरह है। नासा ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर कई मिलियन टन हिलियम-3 हो सकता है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कहा कि हिलियम-3 फ्यूजन रिएक्टर न्यूक्लियर एनर्जी बना सकता है। यह रेडियोऐक्टिव नहीं है, इसलिए यह घातक कचरा भी नहीं बनाएगा।

चंद्रमा पर रेयर अर्थ मेटल्स मिलने की संभावना भी काफी अधिक हो रही है। यह रेयर अर्थ मेटल्स स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर और अन्य नवीनतम तकनीक में उपयोग किया जा रहा है। बोइंग की एक अध्ययन के अनुसार, इसमें स्कैडियम, इत्रियम और पंद्रह लैन्थोनाइड्स हैं। कई देशों ने चंद्रमा अभियान में रुचि दिखाई है। चंद्रमा पर माइनिंग कैसे होगा, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि चंद्रमा पर बिना रोबोट के कोई अभियान संभव नहीं हो सकता। इस सतह पर पानी होने के कारण लोग यहां अधिक समय तक ठहर नहीं सकते हैं।

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